मान जाओ बात हमारी
कहीं रो ना जाए हम,
मान लो बात एक दफा,
कहीं खो ना जाए हम,
कुछ ही दिनों में,
अंधेरा ये और बढ जाएगा,
रूक जाओ घर ही,
वरना घर कहॉ रह पाएगा?
मान लो बात एक दफा,
कहीं खो ना जाए हम,
कुछ ही दिनों में,
अंधेरा ये और बढ जाएगा,
रूक जाओ घर ही,
वरना घर कहॉ रह पाएगा?
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